Hum Sab Ek Se Hi Toh Hai – By Ritu Agarwal

Hum Sab Ek Se Hi Toh Hai

देखा जाये तो हम सब एक से ही तो हैं
ज्यादा फर्क कहाँ..
वही आदतें, वही जरूरतें

वही रोटी, कपड़ा और मकान
थोड़ा प्यार थोड़ा सम्मान..

कुछ डर सबको सता रहे हैं..
दो पल सुकूँ के सभी तलाश रहे हैं..
कुछ शिकायतें हैं
कुछ अधूरी सी हसरतें भी..
कुछ उम्मीदें, कुछ निराशाऐं भी
कितनी जुड़ी सी हैं हमारी भाषाएँ भी..
और एक सी हैं.. बिना शब्दों वाली,
हमारे मन की भाषाएँ भी..

तो ज्यादा फर्क कहाँ..
सब एक से ही तो हैं..

कुछ सपने सभी के,
सभी की कुछ मज़बूरियां..
दिलों में दबाये बैठे हैं सब,
थोड़ी थोड़ी बेचैनियाँ..
कुछ पा लेने की चाह
कुछ खो देने का दुःख
पर सबके हिस्से आता है,
उनके हिस्से का सुख..

तो ज्यादा फर्क कहाँ..
सब एक से ही तो हैं..

बारिश की बूँदों और पूनम के चाँद से,
लगभग सभी बातें करते हैं..
वो बात अलग है कि,
कुछ ग़म, कुछ खुशी साझा करते हैं..

सभी में छुपा एक मुसाफ़िर,
सभी में दबी एक आग है..
होठों तक आते आते रह जाने वाली सभी के पास एक बात है..

और सभी… कुछ इस तरह जुड़े हुए हैं
किसी की यादें मन में लिए,
कुछ की यादों का हिस्सा बने हुऐ हैं..

तो ज्यादा फर्क कहाँ..
हम सब एक से ही तो हैं….

Written & Recited By – Ritu Agarwal

Hum Sab Ek Se Hi Toh Hai

For Daily Updates Follow Us On Facebook

The post Hum Sab Ek Se Hi Toh Hai – By Ritu Agarwal appeared first on LoveSove.com.



Copyright © 2012-2016 Mast Shayri
Template by Ram Nivas Bishnoi
Distributed By Get1 Templates