गज़ल : तो क्या

गज़ल : तो क्या

तुम इस किनारे, हम उस किनारे तो क्या
एक प्यार का पुल यहीँ बाँध देँगे हम।

चारोँ दिशा मेँ अँधेरा छाया, तो क्या
मन की रोशनी से राह देख लेँगे हम।

सफर रेगिस्तान का आज मिला, तो क्या
तपिशे-सहारा मेँ कदम बढ़ाएंगे हम।

सागर मेँ कश्ती तुफां से घिरी, तो क्या
अपनी हिम्मत से साहिल तक पहुँचेँगे हम।

वक्त के पल्लोँ का साथ न मिला, तो क्या
जैसा मिला जीवन, हर पल जिएंगे हम॥R॥

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