ज़रा ठहरो के बारिश है यह थम जाए तो फिर जाना
किसी का तुझ को छु लेना मुझे अच्छा नहीं लगता
मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है, बारिश के हर कतरे से आवाज़
तुम्हारी आती है, बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, दिल की
हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है, जब तेज हवायें चलती हैं तो जान
हमारी जाती है, मौसम है कातिल बारिश का और याद तुम्हारी आती है|
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है दर्द बरसात की बूँदों में
बसा करता है
पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हम से लो अब गिन लो… बारिश की ये बूँदें
सारे इत्रों की खुशबू ,
मंद पड़ गई…
मिट्टी में बारिश की बूंदें, जो चंद पड़ गयी…
अगर मेरी चाहतों के मुताबिक जमाने की हर बात होती
तो बस मैं होता तुम होती और सारी रात बरसात होती
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