Mirza Ghalib Famous Shayari, मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर

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बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब,
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो, वो रूलाता ज़रूर है.!


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थी खबर गर्म, के ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्ज़े,
देखने हम भी गए थे, पर तमाशा न हुआ.!


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Unke Dekhne Se Jo,
Aa Jaati Hai Muhh Par Ronak,
Vo Samajhte Hain Ki,
Bimar Ka Haal Accha Hai.!


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तेरी दुआओं में असर हो तो, मस्जिद को हिला के दिखा,
नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख.!


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बाजीचा-ऐ-अतफाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे.!


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Hazaron Khwaishein Aisi Ki,
Har Khwashish Pe Dam Nikle,
Bahut Nikle Mere Arman Lekin,
Phir Bhi Kam Nikle.!


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Ishrat-e-qatra Hai,
Dariya Mein Fanaa Ho Jaana
Dard Ka Had Se Guzarna Hai,
Dava Ho Jaana..!


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Hum Ko Maalum Hai,
Jannat Ki Haqiqat Lekin,
Dil Ke Khush Rakhne Ko,
Ghalib Ye Khayal Achha Hai.!


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Mohabbat Mein Nahin Hai Fark,
Jeene Aur Marne Ka,
Usi Ko Dekh Kar Jeete Hain,
Jis Kafir Pe Dam Nikle.!


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तोड़ा कुछ इस अदा से, ताल्लुक उस ने ग़ालिब,
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे..!


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मैं नादान था जो वफ़ा को,
तलाश करता रहा ‘ग़ालिब’,
यह न सोचा के एक दिन,
अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी..!


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लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे
बांधनी नहीं आती “ग़ालिब”
हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है..!


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सबने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास,
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले,
अदल के तुम न हमे आस दिलाओ,
क़त्ल हो जाते हैं ज़ंज़ीर हिलाने वाले.!

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