बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब,
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो, वो रूलाता ज़रूर है.!
थी खबर गर्म, के ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्ज़े,
देखने हम भी गए थे, पर तमाशा न हुआ.!
Unke Dekhne Se Jo,
Aa Jaati Hai Muhh Par Ronak,
Vo Samajhte Hain Ki,
Bimar Ka Haal Accha Hai.!
तेरी दुआओं में असर हो तो, मस्जिद को हिला के दिखा,
नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख.!
बाजीचा-ऐ-अतफाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे.!
Hazaron Khwaishein Aisi Ki,
Har Khwashish Pe Dam Nikle,
Bahut Nikle Mere Arman Lekin,
Phir Bhi Kam Nikle.!
Ishrat-e-qatra Hai,
Dariya Mein Fanaa Ho Jaana
Dard Ka Had Se Guzarna Hai,
Dava Ho Jaana..!
Hum Ko Maalum Hai,
Jannat Ki Haqiqat Lekin,
Dil Ke Khush Rakhne Ko,
Ghalib Ye Khayal Achha Hai.!
Mohabbat Mein Nahin Hai Fark,
Jeene Aur Marne Ka,
Usi Ko Dekh Kar Jeete Hain,
Jis Kafir Pe Dam Nikle.!
तोड़ा कुछ इस अदा से, ताल्लुक उस ने ग़ालिब,
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे..!
मैं नादान था जो वफ़ा को,
तलाश करता रहा ‘ग़ालिब’,
यह न सोचा के एक दिन,
अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी..!
लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे
बांधनी नहीं आती “ग़ालिब”
हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है..!
सबने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास,
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले,
अदल के तुम न हमे आस दिलाओ,
क़त्ल हो जाते हैं ज़ंज़ीर हिलाने वाले.!
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