गजल : ऐतबार

जो राह मिला वो प्यार के काबिल नहीँ होता,


हर चेहरा ऐतबार के काबिल नहीँ होता,


खिलने को तो खिल जाता है हर शाख नया फूल,


गुलशन हर एक बहार के काबिल नहीँ होता,


कहने को तो तिनका है डुबते का सहारा,


सब जानते हैँ तिनका कभी साहिल नहीँ होता,


मुश्किल नहीँ है झेलना दुश्मन को जहाँन् मेँ,


यारोँ इससे बङा कोई जाहिल नहीँ होता,


खंजर से हुए खून, तमंचे से हुए खून,


नजरोँ से बङा कोई कातिल नहीँ होता,


हम तो मुजाफ करते रहे सब की खता मेँ,


हम जैसा जिगर वाला ग़ाफिल नहीँ होता,


ललकार कर सुरमाओँ को दो हाथ तो करे,


पर कोई आगे बढ़ के मुकाबिल नहीँ होता॥R॥

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