मेरी दोस्ती

बिकते हैँ गम प्यार के बाज़ार मेँ,

लाखोँ दर्द छिपे होते हैँ, एक छोटी सी 'इनकार' मेँ,

हो जायेँ अगर जमाने से दुखी,

तो स्वागत है मेरे दोस्ती के दरबार मेँ॥R॥
My contect no. <+91>9799<0> 85<7> 69
My email ://@gmail.com

Related Posts

Copyright © 2012-2016 Mast Shayri
Template by Ram Nivas Bishnoi
Distributed By Get1 Templates